दोस्तों कहते हे किसी भी बात या हालात से डरना नहीं चाहिए, लेकिन आज मैं आपसे एक ऐसे डर के बारे में बात करूंगा, जिस डर से शायद हर इंसान को डरना चाहिए। एक ऐसा डर जिससे आप जितना ज्यादा डरोगे उतना ही आपके लिए ाचा हैं, अब आप सोच रहे होंगे की ये किसी बात हैं, की डरना अच्छी बात हैं. और हाँ मैं कोई भुत, प्रेत या मरने वाले डर की बात नहीं कर रहा हु. आज में जिस डर की बात करूंगा उस डर का नाम हैं ???
गरीबी का डर
हाँ अपने बिलकुल सही पड़ा “गरीबी का डर”, दोस्तों ये एक ऐसा डर हैं जो कंही न कंही हर इंसान के अंदर होना जरूरी हैं. क्युकी आज का इंसान बिना डर के कोई काम नहीं करता हैं, जैसे में आपको कुछ Example से समझता हु. बच्चा इसलिए सम्भल के चलना सिख जाता हैं क्युकी उसे गिरने का डर होता हैं, एक औरत अपनी सुंदरता को इसलिए संभाल के रखती हैं क्युकी उसे अपनी बदसूरत लगने का डर होता हैं, और एक आदमी भी कोई गलत काम करने से पहले अपनी इज़्ज़त और शारीरिक नुकसान को लेके डरता हैं. इंसान हो या जानवर सब एक अंदर एक दर छुपा होता हैं.
ऐसा ही एक अजीब सा डर मुझे भी कुछ दिन से परेशान कर रहा हैं. और वो हैं गरीबी का डर, ये डर मेरा हर जगह मेरा पीछा करता हैं. जब में कंही घूमने जाता हु, किसी से मिलता हु, जब में बाजार में होता हु, जब भी कोई त्यौहार या किसी की शादी होती हैं, ये डर मेरा हर जगह पीछा करता हैं,
क्युकी में एक मिडिल क्लास फैमिली में पैदा हुआ हु. जहां सिर्फ और सिर्फ पैसे कम से कम कैसे खर्च करने हैं ये सिखाया जाता हैं. मेरे माता पिता ने मुझे शहर के सबसे काम फीस वाले स्कूल में पढ़ाया। बाजार में जिस दुकान से सबसे सस्ते कपडे मिलते थे वही से मेरे लिए कपडे लिए जाते थे, और घूमने के लिए अपने शहर से ज्यादा कुछ देखा नहीं। तो बचपन से मेने अपने माता पिता के चेहरे पे ये डर देखा था. लेकिन उस समय में छोटा था तो मोज़ मस्ती मैं कभी इन बातो पे ध्यान ही नहीं जाता था.
लेकिन धीरे धीरे में जब बड़ा होता गया तो पता नहीं कैसे माता पिता के चेहरे पे दिखने वाला डर, कब मेरे चेहरे पे आने लगा. में हमेसा सोचता हु की क्या में हमेसा इसी डर के साथ जीता रहूंगा, में तो में क्या मेरे बच्चे भी इसी डर के साथ जियेंगे। क्या वो भी जब मुझसे किसी खिलोने, कपडे या कंही घूमने की ज़िद्द करेंगे तो में भी बस उस गरीबी के डर की वजह से उन्हें बेहला फुसलाया करूंगा। जब मेरे माता पिता मुझसे किसी भी तरह के आराम की उम्मीद करेंगे और में उन्हें वो आराम नहीं दे पाऊ. सोचता हु तो अपने आप से घृणा होने लगती हैं की आखिर में कब तक अपने इस डर से डरता रहूंगा।
नहीं बिलकुल नहीं, बिलकुल भी नहीं। में इस डर के साथ नहीं जी सकता मुझे अपने अंदर से यह गरीबी का डर निकलना हैं, और ऐसा निकलना हैं की ये डर मेरा तो क्या मेरी सात पुस्तो तक का पीछा न कर सके.
मुझे वक़्त के साथ नहीं, वक़्त से आगे चलना होगा, अपनी मेहनत की घडी में कुछ और घण्टे जोड़ने होंगे. अगर मेने आज इस गरीबी के डर से डर के कुछ नहीं किया तो ये डर मुझे और मेरे परिवार को ज़िन्दगी भर डरायेगा। इतना पैसा कमाऊंगा, इतना पैसा कमाऊंगा की ये डर मेरे सपनो में भी ना आ पाए.
दोस्तों अगर आपको भी लगता हैं की यह गरीबी का डर आपके अंदर भी हैं तो बस आज ही से अपने आराम के घंटो को कम करके काम के घंटो को बड़ा दीजिये.
“अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद”
Me Sanju Mahesh Bhati from chokha village
Jindagi ka ak hi udesy aapki saflta me humari saflta
Jirob ko amir banne ki trennig dete he
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Very good sir..
Mujhe Amir banna he aur me banunga
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Sach mai isse bada or koi dar nhi hai or issse darna bhi cahhiye kiuki darenge nhi to ise door karne k liye sochenge kaise
😎
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BEST
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